उत्तर प्रदेश में रामपुर शहर के रहने वाले 25 वर्षीय फ़ैज़ ख़ान को आने वाली 11 फरवरी को दुबई जाना था. उनकी वहां नौकरी लग गई थी. फैज और उनके परिवारवाले काफी खुश थे. इसी सिलसिले में 21 दिसंबर को वे अपने कुछ डॉक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी कराने के लिए करीब 10 बजे घर से निकले थे. करीब ढाई किलोमीटर दूर रामपुर के हाथीखाना चौराहा आने पर उन्होंने देखा कि वहां काफी भीड़ इकट्ठा हुई है और लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. पुलिस ने चारों तरफ से बैरिकेडिंग कर रखी थी तो कौतूहल बस वो भी देखने के लिए वहां खडे हो गए. इतने में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर टियर गैस मारना शुरू किया. वहां भगदड़ मच गई और जिसे जहां मौका मिला वो छिपने की कोशिश करने लगा. फैज ने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति टियर गैस के धुएं से बेहोश हो गए. फैज उन्हें उठाने के लिए आगे बढ़े और जैसे ही वह बुजुर्ग को खींचकर एक गली में लाने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान एक गोली आकर उसके गले में लगी और वो तुरंत वहीं गिर पड़े.परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों ने द वायर के साथ बातचीत में ये दावा किया है.
फैज के जुड़वा भाई फ़राज़ खान ने कहा, 'अगर हमें किसी विरोध प्रदर्शन में जाना होता तो मैं उसके साथ जाता. मैं उस दिन घर पर ही था.' बीते 21 दिसंबर को शनिवार के दिन रामपुर शहर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें फैज खान की मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि पुलिस ने गोली चलाई थी हालांकि पुलिस का कहना है कि भीड़ में से ही किसी ने उन्हें गोली मारी है. शहर के उलेमाओं ने चार-पांच दिन पहले ही ऐलान किया था कि 21 दिसंबर के दिन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इससे एक दिन पहले शक्रवार को जमे की नमाज से पहले उलेमाओं ने ये तय भी किया था कि अगले दिन प्रदर्शन किए जाएंगे. हालांकि शक्रवार रात प्रशासन और उलेमाओं में बातचीत हुई और प्रदर्शन को आधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया गया था. लेकिन ये बात आम जनता तक पहंची ही नहीं. फराज ने कहा, 'अगर पब्लिक को ये पता होता तो ये लोग वहां जुटते ही नहीं.'